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तनावपूर्ण जीवन

इस आधुनिक युग में मानवीय जीवन की कोई एक खास विशेषता या पहचान कह सकते हैं , तो वह है तनाव। जीवन में विकास के ग्राफ के साथ तनाव का ग्राफ भी उतनी ही तेज़ी से बढ़ा है। इसमें क्या बच्चे ,बड़े , जवान , औरत और आदमी सब शामिल है। शुरुआत तो बच्चे के दुनिया में आते ही शुरू हो जाती है। जैसे – जैसे बच्चा बड़ा होता है। माँ-बाप के तनाव का ग्राफ भी बढ़ता है। जैसे स्कूल का तनाव, परीक्षा में अच्छे नंबर का तनाव, खेलकूद में ट्रॉफी को लेकर तनाव। बच्चे की उम्र के साथ माँ-बाप का तनाव भी बढ़ता जाता है। हर अवस्था में मनुष्य यही सोचता है कि बस यह मुसीबत निकल जाए या समय बीत जाए तो तनाव समाप्त। लेकिन क्या गरीब क्या अमीर सब तनाव के चपेट में रहते हैं। जिसके पास कुछ नहीं है उसे कुछ पाने का तनाव है, जिसके पास सब कुछ है उसे खो जाने का तनाव है। असंतोष और असंतुष्टि शायद दूसरा बड़ा कारण हो सकते है।
असल में इस तनाव का इलाज हमारे पास ही है। वह भी छोटी - छोटी चीजों में , हमें दूर जाने की जरूरत नहीं है। किसी की सहायता की जरूरत नहीं है। वैसे हम सब जानते हैं कि हमें अपने पर यकीन नहीं रहा। यही तो कारण है कि हमने तनाव पैदा कर लिया। क्या हमें याद है कि हमने अपने मनपसंद गाने कितने दिन पहले सुने थे। क्या हमें याद है कि हमने अपनी खुशी के लिए कौन-कौन से कार्य किए थे। कभी घर से दूर प्रकृति में जाना तनाव मुक्त होने का अचूक साधन कहलाता है।
बरसात हो रही हो तो भीग जाइए। जुखाम, कपड़े और कागज़ के गीले होने का तनाव मत कीजिए। यह तो फिर भी सूख जाएँगे । लेकिन आपने तनाव बनाए रखा तो आपका जीवन रेतीले रेगिस्तान की तरह बनते देर नहीं लगेगी।