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विपश्यना और मानसिक स्वास्थ्य

‘ विपश्यना’ ध्यान करने की एक प्राचीन पद्धति है। इसका शाब्दिक अर्थ है, देखकर लौटना | यह आत्मशुद्धि और आत्मनिरीक्षण की सबसे अच्छी ध्यान पद्धति है। आज के दौर में जहाँ मानसिक शांति की अत्यधिक आवश्यकता है, वहाँ यह ध्यान पद्धति, काफी उपयोगी और लाभकारी सिद्ध हो रही है। यह ध्यान पद्धति बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए लाभकारी होने के कारण आज दुनिया भर में इसकी चर्चा है। भगवान बुद्ध ने विपश्यना के द्वारा ही बुद्धत्व प्राप्त किया था तथा इसका अभ्यास लोगों से भी करवाया था। यह ध्यान आपको खुद को जानने में मदद करता है। यह साधना मन का व्यायाम है| जैसे शारीरिक व्यायाम से शरीर स्वस्थ रहता है, वैसे ही विपश्यना से मन को स्वस्थ रखा जा सकता है। इसके द्वारा हम जीवन जीने की कला से परिचित होते हैं। तनाव कम करने और एकाग्रता बढ़ाने का यह सबसे अच्छा उपाय है।
आज सोशल मीडिया और तकनीकी उपकरणों के बीच बच्चे और वयस्क लगातार इंटरनेट पर सर्फिंग करते नजर आ रहे रहे हैं।बच्चे सोशल मीडिया के माध्यम से बातचीत करते हैं और अच्छी किताबें पढ़ने के बजाय घर के अंदर वीडियो गेम खेलते रहते हैं। जो बच्चे ऐसे उपकरणों के साथ बड़े होते हैं उन्हें अक्सर किसी एक वस्तु या विषय पर ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत आती है। यह ध्यान पद्धति छात्रों की एकाग्रता बढ़ाने में मदद करती है जिससे वे विचलित होने से बचते हैं।

ध्यान बच्चों को यह सीखने में मदद करता है कि वे अपने प्यार को दूसरे बच्चों के साथ कैसे साझा करें। वे अधिक धैर्यवान और समझदार बनते हैं। दूसरों को अधिक तत्परता से सुनते हैं और उनके साथ सहानुभूति रखते हैं। इसके साथ ही उनका व्यक्तित्व निखरता है।
मेरे विचार से विपश्यना में लोगों के मानस और चरित्र को बदलने की क्षमता है।यह आज के युग की आवश्यकता भी है ,इसलिए इस ध्यान पद्धति को हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
